ये मेरा एक बहुत पुराना लेख है जो के कई समाचार पत्रों में प्रकाशित हो चूका है
७८६ अंक को शुभ क्यूँ माना जाता है
याद कीजिये फिल्म दीवार का वो मंज़र अमिताभ के सीने पर गोली लगती और उन्हें कुछ नहीं होता गोली उनके बिल्ला नम्बर "786" से टकरा कर बेकार हो चुकी है अमिताभ उस बिल्ले को कोट की जेब से निकाल कर चूमते हैं फिर फिल्म कूली मे वही चमत्कारी बिल्ला नंबर "786" लगाते है कूली मे एक जबरदस्त हादसे में घायल होते है जिंदगी और मौत की जंग मे जीत ज़िन्दगी की होती है और वो रुपहले परदे पर भी और अपने वास्तविक जीवन मे भी अंक "786'' के ज़बरदस्त कायल हो जाते हैं और आज भी वह और उनका परिवार अंक "786" को अपने लिए शुभ मानता है
याद कीजिये फिल्म दीवार का वो मंज़र अमिताभ के सीने पर गोली लगती और उन्हें कुछ नहीं होता गोली उनके बिल्ला नम्बर "786" से टकरा कर बेकार हो चुकी है अमिताभ उस बिल्ले को कोट की जेब से निकाल कर चूमते हैं फिर फिल्म कूली मे वही चमत्कारी बिल्ला नंबर "786" लगाते है कूली मे एक जबरदस्त हादसे में घायल होते है जिंदगी और मौत की जंग मे जीत ज़िन्दगी की होती है और वो रुपहले परदे पर भी और अपने वास्तविक जीवन मे भी अंक "786'' के ज़बरदस्त कायल हो जाते हैं और आज भी वह और उनका परिवार अंक "786" को अपने लिए शुभ मानता है
क्या है ये अंक 786 और क्यूँ मानते हैं इसको शुभ
एक अरबी भाषा का शब्द है "अबजद" जिसका एक मतलब होता हैं किसी बिद्या को सीखने की सब से पहली स्तिथि यानि अलिफ़,बे,ते (A.B.C.D.) क ख ग घ सीखना
जो दूसरा मतलब है वो अपने आप मे एक विद्या हैं किसी भी शब्द के नंबर निकालना ये अरबी की विद्या है इसलिए अरबी के तरीके से ही चलती है इसमें अरबी के हर अक्षर को एक गिनती दी हुई है किसी शब्द मे जो जो अक्षर प्रयोग होते हैं उन को गिन कर जोड़ कर जो योग निकलता है वही उस शब्द के अंक होते है आदिल रशीद को उर्दू मे लिखेंगे عادل رشید इसमें प्रयोग हुआ ऐन. अलिफ़ ,दाल, लाम, तो इस में
ऐन के=70, अलिफ़ के =1 दाल के=4 लाम के=30 टोटल = 105
इसी तरह रशीद रे के =200 शीन के =300 ये के =10 दाल के =4 टोटल=314
आदिल रशीद के हुए 105 +314=419
इसी हिसाबे अबजद से बिस्मिल्लाह हिर रहमानिर रहीम जिसके अर्थ होते हैं "शुरू करता हूँ उस अल्लाह के नाम से जो बेहद रहम वाला है"
अगर पुरे वाक्य "बिस्मिल्लाह हिर रहमानिर रहीम" के अंक(नंबर) अबजद से निकालें तो बनेगे 786 इसी लिए मुस्लिम्स में इसको लकी माना जाता है बहुत से लोग इसको नहीं भी मानते.
इस में हिन्दू मुस्लिम्स एकता का भी एक मन्त्र छुपा है अगर हम इसी तरह से " हरे कृष्णा" के निकालें तो भी निकलेंगे 786 दोनों के बिलकुल एक समान.
काश ये हमारे कुछ नेता गण समझ जाएँ इश्वर एक है उसका सन्देश एक है मानवता सब से बड़ा धर्म है.
काश ये हमारे कुछ नेता गण समझ जाएँ इश्वर एक है उसका सन्देश एक है मानवता सब से बड़ा धर्म है.
अरबी के सभी अक्षरों के नम्बर इस प्रकार हैं,
अलिफ़ =1,बे=2,जीम=3,दाल=4,हे=5,=वाओ=
6, ज़े=7,बड़ी हे =8,तूए के =9,ये =10
छोटा काफ =20,लाम=30,मीम=40,नून के =50,सीन=60,ऐन =70,फे=80,स्वाद =90,
बड़े काफ =100,रे =200,शीन =300,ते =400,से=500,खे=600,जाल -700,जवाद =800
जोए =900,गैन=1000,
अबजद के खेल में ताश जिसे इल्मी ताश कहा जाता है बच्चे इल्मी ताश खेलते है और आये हुए पत्तों से शब्द बनाते हैं इस से उनका शब्द ज्ञान बढ़ता है
हाज़िर है एक ग़ज़ल के चन्द शेर
सब तो बैठे हुए हैं मसनद पर
हम ही ठहरे हुए हैं अबजद पर
कल ही मिटटी से सर निकाला है
आज ऊँगली उठा दी बरगद पर
आँख सोते मे भी खुली रखना
सब की नज़रें लगीं हैं मसनद पर
आज के दिन बटा था इक आँगन
आज मेला लगेगा सरहद पर
पहले उसने मेरे कसीदे पढ़े
घूम फिर कर वो आया मकसद पर
9 comments:
priya bhai mai arbi bhasha to nahi jantaa hoon lekin aapne jis tarah se ank 786 ko prabhashit kiya hai veh kabile taareeph hai mai chahtaa hoon ki sabhi maanav jaati is satya ko samjhe taki sabhi ka kayaan ho sake aur aapsi vaimanasya khatm ho sake. yeh meri dili kamna hai. mera maanna hai ki sabhi dharmo ka saar vishv ke. sabhi logon ke kalyaan se judi huee hai. is vyaakhya ke liye badhai deta hoon aapko.
बहुत अच्छी जानकारी दी है आदिल साहब! अनजाने में कई बार ऎसी प्रतीकात्मक चीजों को कट्टरपन का प्रतीक समझ लिया जाता है. आपकी दी यह जानकारी भ्रामक धारणा को दूर करने में सहायक होगी. बहुत-बहुत धन्यवाद. और हमेशा की तरह ग़ज़ल भी बहुत खूब-
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कल ही मिटटी से सर निकाला है
आज ऊँगली उठा दी बरगद पर
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पहली बार यह जानकारी मिली आदिल भाई। आपका शुक्रिया।
एक तो अच्छी बात फिर कहने का दिलचस्प तरीका ...बहुत शुक्रिया
भाई आदिल जी, बहुत महत्वपूर्ण जानकारी दी आपने। 786 तो सुना था, पर इसके पीछे की कहानी का पता नही था। बहुत बहुत शुक्रिया आपका…
Adil sahab,
film veer-zara mein Shahrukh khan ka bola hua dialogue hai ''kaidi number 786...'' itna to maloom thaa ki ye koi pavitra number hai lekin kyon hai ye aapko padhkar jaani hun. dhanyawaad.
bahut umda sher hai...
कल ही मिटटी से सर निकाला है
आज ऊँगली उठा दी बरगद पर
आज के दिन बटा था इक आँगन
आज मेला लगेगा सरहद पर
पहले उसने मेरे कसीदे पढ़े
घूम फिर कर वो आया मकसद पर
daad sweekaaren.
dr zenni shabnam sahiba
mere pas jo hai sab jag ka hai apne pasand kiya shukriya bahut shukriya cooment karte rahe
ek podha mitti se sar nikalte hi bargad ko zalim ke deta haike tu zalim hai tere neeche kabhi koi podha panap nahin sakta mujhe pata hai ke iske baad tu aur jaldi mera khatma kar dega lekin mera to janm hi hua hai ye kehne ke liye ke too zalim hai aapne mere sab se pasndeeda do sher chune isliye mujhe ziyada khushi hai
sneh banaye rakhen
aadar sahit
aadil rasheed
भाई आदिल जी,
आपका ब्लोग शानदार एवम दमदार है !
बधाई !
आपका लेख "क्या है ये अंक 786 और क्यूँ मानते हैं इसको शुभ" शोधपरक है!
पढने के लिए आऊंगा ---जरूर !
बहुत अच्छी जानकारी दी है...मेरी बधाई और शुभकामनाएँ...।
मानी
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