Wednesday, May 4, 2011

योमे मजदूर/ मजदूर दिवस /लेबर डे/ labour day /aadil rasheed

 योमे मजदूर/ मजदूर दिवस /लेबर डे/ labour day /aadil rasheed
खोखले नारों से दुनिया को बचाया जाए
आज के दिन ही हलफ इसका उठाया जाए
जब के मजदूर को हक उसका दिलाया जाए
योमें मजदूर उसी रोज़ मनाया जाए

ख़ुदकुशी के लिये कोई तो सबब होता है
कोई मर जाता है एहसास ये तब होता है
पेट और भूक का रिश्ता भी अजब होता है
जब किसी भूके को भर पेट खिलाया जाए
योमें मजदूर उसी रोज़ मनाया जाए

अस्ल ले लेते हैं और ब्याज भी ले लेते हैं

कल भी ले लेते थे और आज भी ले लेते हैं
दो निवालों के लिए लाज भी ले लेते हैं
जब के हैवानों को इंसान बनाया जाये
योमें मजदूर उसी रोज़ मनाया जाए

बे गुनाहों की सजाएं न खरीदीं जाएँ

चंद सिक्कों में दुआएं न खरीदी जाएँ
दूध के बदले में माएं ना
खरीदी जाएँ
मोल  ममता का यहाँ जब न लगाया जाये
योमें मजदूर उसी रोज़ मनाया जाए 

अदलो आदिल कोई मजदूरों की खातिर आये
उनके हक के लिए कोई तो मुनाजिर आये
पल दो पल के लिए फिर से कोई साहिर आये
याद जब फ़र्ज़ अदीबों को दिलाया जाये
योमें मजदूर उसी रोज़ मनाया जाए
हलफ= बीडा उठाना ,कसम उठाना 
सबब= कारण
अदल  = कानून, 
आदिल= इन्साफ करने वाला
मुनाजिर= बहस करने वाला
साहिर= साहिर लुधियानवी जिस ने खुद को पल दो पल का शायर कहा और मजदूरों की हक बात अपनी शायरी में की
अदीबों= कवि शायर पत्रकार का बहुवचन
             जय हिन्द



 

2 comments:

सहज साहित्य said...

क्या क्या लिखते हो और क्या नहीं लिखते हो आदिल भाई जो भी हो बहुत बड़ा दिखते हो। आपकी ये पंक्तियाँ बहुत खूबसूरत और दिल को छूने वाली हैं-
अस्ल ले लेते हैं और ब्याज भी ले लेते हैं
कल भी ले लेते थे और आज भी ले लेते हैं
दो निवालों के लिए लाज भी ले लेते हैं

ओमप्रकाश यती said...

चंद सिक्कों में दुआएं न ख़रीदी जाएं ......आदिल भाई,एक सार्थक नज़्म के लिए बहुत-बहुत बधाई .