Tuesday, July 17, 2012

'' बा उसूल ''


बेतरतीब बढ़ी दाढ़ी, बिखरे बाल, पैरों में हवाई चप्पल, मैले कुचैले  कपड़े, कंधे पर अंगोछा डाले किसान सा नज़र आने वाले उस  आदमी का डी. टी. सी. बस से उचक उचक कर बाबाबाहर देखना ये बता रहा था के वो  शायद पहली बार दिल्ली आया था.उसके साथ लगभग दस साल की एक अपाहिज लड़की थी उसके हाथ में एक्सरे  और एम. आर. आई. के  पुलंदे से ये एहसास हो रहा था कि बच्ची के ठीक होने की उम्मीद उस  मजबूर बाप को इस महानगर में ले आई थी. अचानक वह उठा और अपनी बच्ची को कांधे  पर उठाया  दूसरे हाथ से एम. आर. आई. का पुलंदा उठा कर वो वह ड्राईवर के  पास पहुँचा और अपने  भोले भाले देहाती अंदाज़ में ड्राईवर से इल्तिजा के स्वर में बोला,'' हम दुकन्वा  पहचान लिए हैं. तनिक  गेटवा खोल दीजिए हमें उतरना है'' ड्राइवर ने उसे ऊपर से नीचे तक देखा और हिकारत भरे लहजे में जवाब दिया'' गेट लाल बत्ती (red light) पर नहीं खुलता बस स्टाप पर खुलता है वहां  उतरना वह मजबूर बाप गिदगिड़ा कर बोला " दया करें बाबू बच्ची अपाहिज है और मैं  कमजोर बहुत चलना पड़ेगा '' ड्राइवर ने उसकी ओर देखे बिना लापरवाही से कहा लाल बत्ती पर गेट खोलने पर चालान हो जाता है हमारे भी कुछ उसूल कुछ नियम हैं जिनसे हम बंधे हैं हम उन्हें तोड़ नहीं सकते'' बस चल पड़ी काफी दूर जाने के बाद बस स्टाप आया बस रुकी और मजबूर बूढा बाप  आँखों में आँसू लिए उतर गया. बस फिर चल पड़ी यूसुफ सराय के बाद हौज खास के पास जीन्स और टॉप पहने एक लड़की जिसके वी कट खुले बाल उसके कंधे पर अठखेलियाँ कर  रहे थे उठ कर दरवाजे की ओर बढ़ी और उसने अपने बड़े से धूप के चश्मे को माथे की तरफ सरकाते हुए ड्राईवर की तरफ  'केवल' मुस्कुराते हुए देखा ड्राईवर की  उंगली गेट खोलने वाला बटन दबा चुकी थी गेट खुल चुका था लड़की मुस्कुराती हुई 'लाल बत्ती' पर ही  बस से उतर चुकी थी और मैं उस ''बा उसूल " आदमी को देखता रह गया..... आदिल रशीद-10-10-2007  e-mail:
aadilrasheed.tilhari@gmail.com

3 comments:

prritiy----sneh said...

sahi likha hai aisa hota hai... par ek baat kahun aapko us driver ko tokna chahiye tha aapka saath koi deta na deta shayad uske jameer par kabhi koi asar ho jata....
shubhkamnayen

Aadil Rasheed said...

prrity ji aadab
uske baad main ne jo kuchh us driver ko bola wo likhna uchit nahi agar likha to aisa lagega ke ye main ne khud koo show karne ke liye likha jo main nahin chahta....Aapne is mukhtsar safarname ko pasand kiya

prritiy----sneh said...

namaskar

aapko ek comment ke taur par likhna chahiye aage ki baat kyunki ho sakta isse aur padhne wale sabak lein aur chup na rahein

aapko abhinandan