Wednesday, September 22, 2010

के दरिया बहने लगा खतरे के निशान के साथ/ आदिल रशीद

निभाए हम ने मरासिम यूँ  बदजुबान के साथ
के जैसे रहता है आईना इक चटान के साथ

ज़मीं भी करने लगी अब दुआ किसान के साथ
के दरिया बहने लगा खतरे के निशान के साथ

है तेरे हाथ मे अब लाज उसकी रब्बे करीम
परिन्दा शर्त लगा बैठा आसमान के साथ

कहीं ये बढ़  के मेरा हौसला न कत्ल करे
तभी तो जंग छिडी है मेरी थकान के साथ

हम ऐसे लोग भला कैसे नींद भर सोयें
के जाग  उठती हैं फिक्रें मियां अज़ान के साथ

वो जिसके सामने दरिया ने नाक रगड़ी है
हमारा रिश्ता है उस आला खानदान  के साथ

गरीब होने से तहज़ीब मर नहीं सकती
वो चीथडों मे भी रहता है आन बान के साथ

2 comments:

इस्मत ज़ैदी said...

गरीब होने से तहज़ीब मर नहीं सकती
वो चीथडों मे भी रहता है आन बान के साथ

बहुत उम्दा और ख़ुद्दार शेर है
बहुत ख़ूब!

Aadil Rasheed said...

sukriya
aadil rasheed
aadil.rasheed1967@gmail.com