ये शेर सिर्फ एक शेर नहीं है. ये एक वादा है जो मैं ने अपनी शरीके हयात (पत्नि) से २ जून १९९९४ को किया था(यही हमारी शादी की तारिख है )
यूँ तो ये शेर मैं ने उस से बहुत पहले कहा था १९८९ में मगर मैं ने ये शेर ना कहीं पढ़ा और ना ही कहीं छपवाया क्यूँ के मैं ने तय कर रखा था अपने दिल में के ये शेर मैं अपनी पत्नि को तोहफे में दूंगा .एक भावुक शायर को इस से अच्छा तोहफा कुछ समझ में नहीं आया क्यूँ के सोना चांदी तो सब देते हैं लेकिन एक उम्र के बाद उसको पहनता कौन है और ये भी है के आँख में आंसू न आने देने का वादा भी करना सितारों से मांग भरने से कहीं जियादा है किसी के वास्ते ताजमहल बना देने से भी कहीं जियादा है क्यूँ के औरत तो सिर्फ प्यार चाहती है सिर्फ प्यार उसको धन का लालच नहीं होता.
अब समझदार लोगों को ये बताने की क्या ज़रुरत हैं के एक औरत तो मुमकिन है के पेट में कोई बात रोक ले मगर एक शायर कवि अगर इतने साल तक एक शेर दुनिया को सिर्फ इस लिए नहीं सुनाता अपने पेट में रोक कर रखता है के उस शेर को उसे अपनी शरीके हयात को तोहफे में देना है तो उस कवि उस शायर ने पेट में कितना दर्द कितनी तकलीफ सही होगी अंदाज़ा कीजिये.(काश उस दर्द का अंदाज़ा मेरी शरीके हयात भी कभी कर सके )
आदिल रशीद
12 comments:
लाजवाब शेर है. बहुत ही खूबसूरत.
Tumhen ye kahna chahiye tha....Tujhko do kamron ka ik ghar to main de sakta hoon/ isse ziyada mere mehboob na mujh se kuchh maang.
वाह जनाब...इससे बेहतर और क्या वादा हो सकता है...बहुत खूब!!
:-) bahut khoob
priya bhai adil jee aapke is umda sher ke liye badhai
bahut achchha sher hai Adil bhai,bahut-bahut badhai
waah kya baat hai. wada to bahut pyara hai, ab ye jaan.na hai ki aapki shareeke-hayaat aapke is pyare sher ko sunane ke baad kaisa mehsoos ki. unki aankhon mein kabhi aansoo na aaye meri dua hai. lajawab sher ke liye daad sweekaaren Aadil sahab.
ati sunder wada kiya hai..jazbaat hi mahtavpoorn hai
Dnangrani
Raseed Bhai aapka sher mast laga, aage jab bhi kuch naya likhe to mujhe jarur mail kare.
Apka Amresh Srivastava
Raseed Bhai aapka sher mast laga, aage jab bhi kuch naya likhe to mujhe jarur mail kare.
Apka Amresh Srivastava
Raseed Bhai aapka sher mast laga, aage jab bhi kuch naya likhe to mujhe jarur mail kare.
Apka Amresh Srivastava
behtreen TUHFA
besh qimat TUHFA
ek wada jo sone chandi se bhi bahot wazni
humen koi dukh nahi ke aap ne hum se yeh shaier chupa ke rakhe itne salon tak ....
humen khushi hai ke yeh qimti shaier SHARIKE E HAYAT ki wajha se hum tak akhir pahinch hi gaya...
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