tag:blogger.com,1999:blog-2275693467903474052.post3590060852456736654..comments2023-03-17T04:28:47.224-07:00Comments on आदिल रशीद/aadil rasheed: भरम उसकी शराफत का न खुल जाए वो डरता है /aadil rasheedAadil Rasheedhttp://www.blogger.com/profile/11056318400056590053noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-2275693467903474052.post-28649115999312275592011-09-09T09:09:17.337-07:002011-09-09T09:09:17.337-07:00कोई तद्फीन हो घर में, किसी अपने की शादी हो
...कोई तद्फीन हो घर में, किसी अपने की शादी हो<br />ये मत पूछो वो दिन परदेस में कैसे गुज़रता है<br />मिरे अशआर कुछ लोगों को खुद पर तन्ज़ लगते हैं <br />जहाँ पर गड्ढा होता है वहीँ पर पानी मरता है <br />आदिल भाई, पहले दो अशआर पर अनिल जनविजय ने मुहर लगा दी, बाकी दो पर मैं लगा देता हूँ। मेरे तईं पूरी ग़ज़ल बेहतरीन है। मज़ा आ गया।बलराम अग्रवालhttps://www.blogger.com/profile/04819113049257907444noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2275693467903474052.post-77058357550326823542011-09-09T02:43:00.951-07:002011-09-09T02:43:00.951-07:00ग़ज़ल के ज़रिए अपने वक़्त को साकार करने की अच्छी को...ग़ज़ल के ज़रिए अपने वक़्त को साकार करने की अच्छी कोशिश है।देवमणि पांडेय Devmani Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/09583435334580761206noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2275693467903474052.post-77485005152696887592011-09-08T21:10:24.394-07:002011-09-08T21:10:24.394-07:00आपकी इस ग़ज़ल के पहले दो शेर उम्दा हैं, आदिल भाई।आपकी इस ग़ज़ल के पहले दो शेर उम्दा हैं, आदिल भाई।अनिल जनविजयhttps://www.blogger.com/profile/02273530034339823747noreply@blogger.com